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Agricultural  Shikshak news: छठी से 8वीं तक के बच्चे सीखेंगे खेती-किसानी, शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग

Written by Gaurav Singh

Agricultural  Shikshak news: छठी से 8वीं तक के बच्चे सीखेंगे खेती-किसानी, शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग

Agricultural Shikshak news

अब छठी कक्षा से 8वीं तक के बच्चे कृषि का पाठ पढ़ेंगे। बच्चों को बताया जाएगा कि जो फल या सब्जियां वे खाते हैं, उसे उगाया कैसे जाता है? दूध कैसे और कहां से आता है…ऐसे तमाम सवालों का न सिर्फ बच्चों को जवाब दिया जाएगा, बल्कि प्रयोग करके दिखाया भी जाएगा। बच्चे भी खुद से मनपसंद का पौधा लगाएंगे और खेती की पूरी प्रक्रिया समझें

 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए पुस्तक भी तैयार की है। तीनों कक्षाओं के लिए अलग-अलग पुस्तक है। इसमें कृषि की प्रारंभिक शिक्षा से जुड़ी हर जानकारी है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने बताया कि खेती-किसानी को लोग हेय दृष्टि से देखते हैं। किसान भी नहीं चाहते कि उनके बच्चे खेती करें। इसी धारणा को बदलने के लिए यह कदम उठाया गया है।

 

. हिमांशु पाठक का कहना है कि आधुनिक तौर-तरीके से खेती करें तो इससे अच्छा और फायदेमंद पेशा कोई दूसरा नहीं मिलेगा। कृषि शिक्षा खेती-किसानी तक सीमित नहीं रख सकते। इसमें व्यापक संभावनाएं हैं। स्टार्टअप्स से लेकर खाद्य प्रसंस्कृत कंपनियों और शिक्षण संस्थानों तक। हर जगह कृषि के जानकारों की जरूरत होती है। इसीलिए कृषि शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

खेतों तक जाएंगे बच्चे, पशुपालन भी सीखेंगे

आईसीएआर के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (कृषि शिक्षा) डॉ. आरसी अग्रवाल ने बताया कि तैयार पुस्तकों में कृषि की सभी ब्रांच से जुड़ी सामान्य जानकारी देने की कोशिश हुई है। पशुपालन, जंगल, फलों और सब्जियों से जुड़ी जानकारी भी दी गई है। मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में भी बताया गया है। डॉ. अग्रवाल के अनुसार, बच्चों को किताबी शिक्षा ही नहीं दी जाएगी, बल्कि खेतों तक लाया जाएगा। उन्हें विभिन्न फसलों की खेती दिखाई जाएगी। पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा। आधुनिक तौर-तरीकों से भी रूबरू कराया जाएगा। वे पशुपालन, मुर्गीपालन भी सीखेंगे।

 

चार फायदे होंगे

बच्चों को फलों, फसलों और सब्जियों की सामान्य जानकारी मिल पाएगी।

खेती और किसानों को लेकर आने वाली पीढ़ी का नजरिया बदलेगा।

रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।

हर क्षेत्र के लोग कृषि से जुड़ेंगे तो नवाचार बढ़ेगा।

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