Basic Shiksha news: इस शिक्षक ने बदली हजारों बाल मजदूरों की किस्मत, फ्री शिक्षा से संवर रहा बच्चों का भविष्य
कहते हैं कि बिना गुरु के भगवान के भी दर्शन नहीं होते हैं, क्योंकि गुरु ही हमारे जीवन में ज्ञान का दीपक जलाते हैं. ऐसे में फिरोजाबाद में भी एक ऐसे गुरु हैं, जो बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. जी हां! पिछले कई सालों से एक शिक्षक सैकड़ों छोटे-छोटे बच्चों को एक संस्था के जरिए मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं.
बच्चों को मिल रही है मुफ्त शिक्षावह गरीब और असहाय बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ पढ़ने लिखने की भी सामग्री का वितरण करते हैं. इसके लिए इस शिक्षक को राज्य स्तरीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. अभी ये शिक्षक फिरोजाबाद में अलग-अलग सेंटर चला रहे हैं. जहां बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल रही है.
गरीब बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा
फिरोजाबाद के ककरऊ कोठी के पास के रहने वाले शिक्षक अश्वनी राजौरिया ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने साल 2012 में घर के पास कुछ बच्चों को घूमते और चूड़ी का काम करते हुए देखा, जिसके बाद उनके मन में इन बच्चों को पढाने का विचार आया. जब उन्होंने बच्चों से बात की तो बच्चों ने कहा कि वह चूड़ी के काम करके खुश हैं और उन्हे पढ़ने लिखऩे से कोई मतलब नहीं है
जानें शिक्षक ने क्या कहाइसके बाद शिक्षक अश्वनी राजौरिया ने बच्चों के पिता से बातचीत की तो पता चला कि घर का खर्च चलाने के लिए उनके साथ बच्चे भी मजदूरी करते हैं. जिसके बाद उन्होंने बच्चों के घरवालों को समझाया और शिक्षा का महत्व बताया कि शिक्षा उनके जीवन को बदल सकती है और फिर वहीं से इस संस्था की शुरुआत हुई.
शिक्षक ने बताया कि सेंटर की शुरुआत 10 बच्चों से की, जिसके बाद उनकी ये मुहिम आगे बढ़ती चली गई. आज उनकी संस्था द्वारा लगभग 400 से भी ज्यादा बच्चों को फ्री में शिक्षा दी जा रही है. इसके अलावा हजारों बच्चे उनके यहां से पढ़-लिख कर आगे निकल चुके हैं.
शिक्षक को मिल चुका है राज्य स्तरीय पुरस्कार
शिक्षक अश्वनी राजौरिया ने बताया कि उनको इस संस्था के जरिए बच्चों को पढ़ाते हुए लगभग 12 साल हो चुके हैं. इस कार्य के लिए सभी ने उनकी सराहना भी की है और 2022 में उन्हे इस कार्य के लिए विवेकानंद राज्य युवा पुरस्कार भी मिल चुका है. शिक्षक का कहना है कि वह फिरोजाबाद के अलावा आसपास के जिलों में भी शिक्षा की अलख जगाना चाहते हैं, जिससे हर गरीब के बच्चों को भी शिक्षा का अधिकार मिल सके.